कवरेज करने गए सात पत्रकारों पर पुलिस ने लिखाया गंभीर धाराओं में मुकदमा,भेजा जेल
बड़े दुर्भाग्य कि बात है कि आज देश के चौथे स्तम्भ ने शुरू किया अनशन
बाँदा। (भानु प्रभात ब्यूरो) उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के आदेशों के बाद भी प्रशाशन द्वारा लगातार पत्रकारों का अपमान किया जा रहा है तथा पत्रकारों को प्रशासन द्वारा फर्जी पत्रकार करार देकर मुकदमा लिखा जा रहा है, आखिर रामराज का मुद्दा लेकर चुनाव लडने और जीतने के बाद न तो रामराज मिला उल्टा तो संविधान के रक्षक एवं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों को अब खाकी की तानाशाही का शिकार होना पड़ रहा।
पूरा मामला बाँदा जनपद का है,जहाँ विगत 25 सितंबर को स्थानीय ग्रामीणों की सूचना पर अवैध खनन और ओवरलोडिंग की कवरेज करने गए पत्रकारों को खनन माफियाओं द्वारा बैठा लिया गया और उनसे आई कार्ड मांगे गए वैध आई कार्ड दिखाने के बाद प्रभारी नरैनी और सीओ नरैनी को फोन कर बुलाकर फर्जी तहरीर पर पत्रकारों को जेल भिजवा दिया।

पत्रकारों ने बातचीत के दौरान बताया,कि उन्हें लहुरेहटा के पास से गिरफ्तार किया गया है और सीओ नरैनी द्वारा उन्हें आवास में ले जाकर बंद करके मारपीट की गई और उनके साथ आपत्तिजनक व्योहार किया गया।जबकि भारतीय संविधान की धारा 41 व 41अ के तहत किसी भी पत्रकार को बिना संवाद किए और बिना सूचना के गिरफ्तार नही किया जा सकता जबकि ऐसा किया गया और साथ ही अभद्रता भी की गई आखिर ये पुलिस की तानाशाही नही तो क्या है,जब पत्रकार ही पुलिस की तानाशाही का शिकार होने लगेंगे तो जनता के प्रति पुलिस का क्या व्योहार होगा?
इस मामले को लेकर जनपद के प्रिंट एंड इलेक्ट्रोनिक मीडिया के समस्त पत्रकार बंधु जब मामले की जांच की मांग का ज्ञापन लेकर जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचे तो वहाँ भी पत्रकारों का अपमान हुआ जिला अधिकारी अपने न तो चेंबर से बाहर आए न ही उनकी बात सुनी गई आखिर जिले का प्रशासन कब तक पत्रकारों का अपमान करता रहेगा और प्रदेश के मुखिया क्या ऐसे ही देखते रहेंगे,अब देखने लायक होगा मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले का संज्ञान लिया जाता है या पत्रकार को भी अनशन में बैठ कर न्याय के लिए लड़ना पड़ेगा।