डा. काशी प्रसाद की भारतीय इतिहास को तार्किक परिणति तक पहुंचाने में अहम् भूमिका – अर्पित जायसवाल

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युवा मंच ने डॉक्टर काशी प्रसाद जयसवाल की 142 वी जन्म शताब्दी समारोह मनाया

केपी जायसवाल एक महान इतिहासकार, ख्याति के विद्वान एवं हिंदी साहित्यकार वकील थे, जिनका जन्म 27 नवंबर 1881 को मिर्जापुर में हुआ

चित्रकूट। (भानु प्रभात ब्यूरो) शिवहरे धर्मशाला में जायसवाल युवा मंच द्वारा डॉक्टर काशी प्रसाद जयसवाल के चित्रो पर पुष्पार्चन दीप प्रज्वलित कर 142 वी जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया। जिसमें समाज के सभी सजातीय बंधुओं की सहभागिता की। जिला महामंत्री अरविंद शिवहरे ने काशी प्रसाद जायसवाल के जीवन में प्रकाश डालते हुए कहा की केपी जायसवाल एक महान भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार का पुरातत्व के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान एवं हिंदी साहित्यकार वकील और तत्कालीन इतिहासकार थे। जिनका जन्म 27 नवंबर 1881 को मिर्जापुर उत्तर प्रदेश में हुआ था।

बैठक करते समाज के लोग

बताया की उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड जाने के बाद और भारत लौटने के बाद, उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में काम किया। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “हिंदू राजनीति” ब्रिटिश काल में भारतीय इतिहासकारों के लिए सबसे प्रेरक पुस्तक बन गई। उन्होंने कहा की हमे गर्व है कि हम उस समाज की संतानें है, जहाँ इतने महान लोगो का जन्म हुआ। इतिहासकार व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल ने समाज के लिए अविश्मरणीय योगदान दिया।

जिलाध्यक्ष अर्पित जायसवाल

जयसवाल युवा मंच के जिला अध्यक्ष अर्पित जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार ने 1981 में डा. जायसवाल की जन्म-शताब्दी पर लिफाफा और डाक टिकट जारी किया था। क्योंकि, डा. काशी प्रसाद जायसवाल ने भारतीय इतिहास को पुरातत्व, सिक्कों, शिलालेखों तथा खुदाइयों व शोध के माध्यम से तार्किक परिणति तक पहुंचाने में अहम् भूमिका निभाई है।
जिला महामंत्री सुनील जायसवाल ने कहा कि महावीरप्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती में कई संपादकीय टिप्पणियां और लेख लिखे। इंग्लैंड में काशीप्रसाद का संपर्क वी.डी. सावरकर, लाल हरदयाल जैसे ‘क्रांतिकारियों से हो गया। उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में आजीवन वकालत की. वे इनकम-टैक्स के प्रसिद्ध वकील माने जाते थे। दरभंगा और हथुआ महाराज जैसे लोग उनके मुवक्किल थे और बड़े-बड़े मुकदमों में काशीप्रसाद प्रिवी-कौंसिल में बहस करने इंग्लैंड भी जाया करते थे।

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इस मौके पर गौरेंद्र शिवहरे, भगवानदीन जायसवाल, सौरभ जायसवाल, उमेश जयसवाल, पप्पू जायसवाल, शैलेंद्र शिवहरे, प्रमोद जायसवाल, नरेंद्र जायसवाल, रोहित जायसवाल, गणेश जायसवाल, लकी जायसवाल, अमन जायसवाल, संजय जायसवाल, जानकी शिवहरे, प्रकाश शिवहरे, आदि मौजूद रहे।

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