देरशाम से सांग प्रदर्शन शुरू हुआ और देर रात तक चलता रहा
महिलाओं द्वारा जवारा के विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन
बाँदा। (भानु प्रभात ब्यूरो) बुंदेलखंड में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जो विशेषताएं पाई जाती हैं। वो और कही नहीं मिलती। उसी के कारण बुंदेलखंड की न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान है। शारदीय नवरात्र पर जो भक्त मां से जिस चीज की कामना करते हैं वह पूरी होती है। इसलिए मां के भक्त भी मां के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने में कोई कमी नहीं रखते।अष्टमी और महानवमी के दिन मां के भक्तों ने लोहे की सांग अपने गले, गाल और होठों में छेद कर मां के प्रति आस्था का प्रदर्शन किया। वहीं इसके बाद महिलाओं ने जवारा विसर्जन करके नवरात्र महोत्सव का समापन किया।
बुंदेलखंड में शारदीय नवरात्र का पर्व जिस श्रद्धा और आस्था के यहां मनाया जाता है। वैसा उदाहरण कहीं और जल्दी से देखने को नहीं मिलता। सांगों का अद्भुत प्रदर्शन काबिले तारीफ होता है। यहां बुजुर्ग 50 से 60 किलोग्राम तक की सांग मां का एक जयकारा बोलकर अपने गालों में ऐसे भेद लेते हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो।मां के इन भक्तों में किशोर वर्ग भी शामिल होता है।जिनकी उम्र बमुश्किल 8 से 15 वर्ष के बीच होती है। यह बच्चे 20 से 25 किलो तक की सांग हंसते-हंसते गाल और गले में न केवल छेद लेते हैं बल्कि मां का जयकारा बोलते हुए महेश्वरी देवी चौक में ढोल और नगाड़ों की थाप पर नृत्य का प्रदर्शन भी करते हैं। दर्शक भी मां के जयकारे बोलते हुए इन्हें प्रोत्साहित करते हैं।
सोमवार की देरशाम से सांग प्रदर्शन शुरू हुआ और देर रात तक चलता रहा। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स यहां तैनात किया गया था। शहर कोतवाल श्याम बाबू शुक्ला अपनी टीम के साथ महेश्वरी देवी मंदिर में मौजूद रहकर शांति व्यवस्था पर अपनी नजर बनाए रखे। एक के बाद एक मां के भक्त सांगों का प्रदर्शन करते देखे गए। वहीं सुबह महिला-पुरुषों की टोलियां जवारा लेकर निकल पड़ीं और मंदिरों में मां दुर्गा का जवारा अर्पित कर महोत्सव का समापन किया। ढ़ोल ताशों की धुन के बीच जवारा लेकर महेश्वरी देवी मंदिर में पहुंचे। भक्तों ने जवारों का विसर्जन किया।मां की भक्ति में सुधबुध खोकर झुमकर नृत्य किया।