कायस्थ समाज ने किया भगवान चित्रगुप्त का पूजन, साथ ही किया कलम की पूजा
युवा अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव बोले – चित्रगुप्त भगवान हैं हमारे पिता, इनसे न करें दगा
चित्रकूट। (भानु प्रभात ब्यूरो) कायस्थ समाज के लोगों द्वारा चित्रगुप्त मंदिर में कलम दवात की पूजा की गई। मान्यता है की चित्रगुप्त भगवान कायस्थ समाज के पूर्वज हैं। कायस्थ उन्हीं के वंशज हैं। कायस्थों ने सामूहिक रूप से चित्रगुप्त भगवान का पूजन कर उनसे समाज व देश की तरक्की का आशीर्वाद मांगा। समाज के अध्यक्ष के के माथुर ने बताया कि हमारे समाज के लिए ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन हम भगवान चित्रगुप्त का पूजन करने के बाद अपनी कलम की पूजा करते हैं। पूजन कार्यक्रम के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इसके बाद एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सभी लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष एवम नामित सभासद सीमा निगम ने सभी महिलाओं से समाज के कामों में हिस्सा लेने का आवाहन किया।
गुरुवार को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा भैया दूज के दिन प्राचीन चित्रगुप्त मंदिर पुरानी बाजार में सभी समाज के लोगों की उपस्थित में सामूहिक रूप से कलम दवात का पूजन किया। मान्यता है की इस दिन कलम की पूजा करने के बाद ही समाज के लोग लिखा पढ़ी करते हैं। सभी लोगों ने भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनका पूजन किया। पूजन के बाद प्रसाद वितरित किया गया। साथ ही प्रसाद स्वरूप सभी उपस्थित लोगों को कलम दी गई। इसके बाद एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सभी कायस्थ समाज के लोगों ने अपने अपने विचार रखे।
आयोजित गोष्ठी में समाज के जिलाध्यक्ष के के माथुर ने कहा कि समाज की स्थिरता एवम एकता ही उनका प्रमुख उद्देश्य है।अगर समाज के सभी लोग साथ आ जाए और सहयोग करें तो चित्रगुप्त भगवान का मंदिर भव्य और दिव्य बन जायेगा। कोषाध्यक्ष पूर्व ईओ रमाशंकर श्रीवास्तव ने सभी समाज के लोगों से मंदिर निर्माण में सहयोग मांगा। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष एवम नामित सभासद सीमा निगम जब जब कोई भी सहयोग की बात होगी समाज की महिलाएं पीछे नहीं रहेंगी। जब भी समाज की स्थिरता, एकता व मंदिर की भव्यता एवम दिव्यता में कोई व्यवधान उत्पन्न करेगा तो महिला शक्ति पुरजोर विरोध करेगी। चाहे उसके लिए कितनी भी दिक्कतों का सामना क्यों ना करना पड़े।
युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवम चित्रांश पुरोहित विवेक श्रीवास्तव ने चित्रगुप्त भगवान हमारे पिता हैं इनसे जो भी दगा करेगा वो चित्रांश हो ही नहीं सकता। व्यापारी नेता मुनेश निगम ने सभी चित्रांश बंधुओ से मनभेद तथा मतभेद भुला कर एकता के लिए आवाहन किया। समाज के मीडिया प्रभारी राजेंद्र श्रीवास्तव उर्फ खरे ने आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में अनुज निगम, मनोरमा, कुलदीप, प्रदीप, चित्रांश, शिवम, विनय, सुशील, सुनीता, भविष्या, गौरव, पीयूष, रवि समेत सैकड़ों कायस्थ समाज के लोग उपस्थित रहे।
क्या है पौराणिक मान्यता –
जब भगवान राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब भाई भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहाI गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं I जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है। इस पर पता चला की भगवान चित्रगुप्त को निमंत्रण पहुंचाया ही नहीं था। इस पर चित्रगुप्त भगवान ने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया।
तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर (श्री अयोध्या महात्म्य में इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता) में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम के आग्रह को मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद ) पुन: कलम दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया। कहते है तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यमद्वितीया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है।