मिल गया बुराई करने का लोगों को एक स्टेज जिसे हम “फेंकबुक” कहते हैं
घर की महिलाएं भूखी प्यासी इंतजार करती है और पुरुष फेसबुक में दूसरी महिलाओं से सहानुभूति जताने मे लगे रहते हैं
डेस्क। (भानु प्रभात ब्यूरो) चिट्ठी पाती का जमाना खत्म हुआ मोबाइल युग आया और उसमें आए नए-नए प्रकार के सोशल एप। आज रिश्तें भी डिजिटल रूप में निभाए जा रहे हैं, जहां घर में सब के साथ समय बिता करता था, अब फेसबुक की दुनियां आने से लोग इसी को अपनी दुनिया मानने लगे हैं, लोगों के दुख सुख का साथी भी फेसबुक हो गया है, अब तो लोग सोते जागते उठते बैठते सिर्फ फेसबुक की मोह माया में पूरा दिन बिता देते हैं, ना खाने की परवाह, ना शरीर का ख्याल! बस फेसबुक पुराण लेकर बैठ जाते हैं। हरी बत्ती जलते ही आ जाते हैं कुछ महाशय मोहतरमाओं के पास और निभाने लगते हैं झूठे और दिखावे रिश्तें। जिनकी घर की औरतें और पुरुष अकेले तन्हा जिया करते हैं, वह फेसबुक में जाकर अपनी सच्ची मोहब्बत को ढूंढा करते हैं। इन्हें परवाह ही नहीं होती है रिश्तो की मर्यादाओं की और लाँघ जाते हैं हर सीमाओं को, जिसका भुगतान परिवार के सभी सदस्यों को, समाज के अन्य वर्गों को भी भुगतना पड़ता है। मैडम! आपने नाश्ता किया, मैडम! आप कैसी हैं, मैडम आपके कितने बच्चे हैं, मैडम! आपके परिवार में कौन-कौन है, आप कहां रहती हैं? तरह-तरह के सवाल अक्सर पुरुष महिलाओं के इनबॉक्स में आकर पूछने लगते हैं जिनके घर की महिलाएं भूखी प्यासी उनका इंतजार करती है, वह फेसबुक में दूसरी महिलाओं से सहानुभूति जताने मे लगे रहते हैं।
ऐसा नहीं है कि हर पुरुष ऐसे होते हैं कुछ महिलाएं भी ऐसी होती हैं, जिनके पास फेसबुक के अलावा और कोई कार्य ही नहीं होता है, फेसबुक में आकर अपने जीवन के सारे वृतांत का उल्लेख यह सभी एक दूसरे से कर देती है, बाद में यही सब उनके जीवन का बवाल बन जाता है। एक दूसरे को ताने देना, छींटाकशी करना, सोशल मीडिया पर कटाक्ष करके एक दूसरे को गलत बोलना, यह सारी चीजें फेसबुक पर नजर आने लगती है। लोगों ने फेसबुक को इतना गंदा कर दिया है कि आजकल यहां रिश्तों की कोई मर्यादा ही नहीं रह गई। पहले बुराई करने के लिए घर के आंगन या घर के बाहर की दहलीज में बैठ कर लोग एक दूसरे की बुराई करते थे, अब बुराई करने का लोगों को एक स्टेज मिल गया है जिसे हम “फेंकबुक” कहते हैं। फेसबुक अब लोगों को फंसाने का जरिया बन गया है, एक दूसरे की नकली आईडी बनाकर नकली चैटिंग बनाकर, एक दूसरे को फंसाने का कार्य लोग कर रहे हैं, ना जाने यह सब करके इन्हें क्या हासिल होता है? इस प्रकार की सोच लोगों में आती कहां से है? कोई लड़का बन कर संतुष्ट नहीं है, तो कोई लड़की बनकर असंतुष्ट है। बस यही है फेसबुक का असली रूप “फेंकबुक”!फेसबुक का निर्माण इसलिए किया गया है कि इसका सदुपयोग करें नई-नई जानकारियां ले, नयें-नयें पेज पर नई-नई रेसिपी सीखें, कविताएं समाचार यह सारी चीजें फेसबुक पर आसानी से उपलब्ध हो, इसलिए फेसबुक बनाया गया और लोगों को बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान हो इसलिए फेसबुक बना, लेकिन लोग इससे हटकर इसका दुरुपयोग करते हैं जो सर्वथा गलत है। अब तो डिजिटल रिश्वतखोरी भी शुरू हो गई है लोग नकली आईडी बनाकर उनके नाम पर पैसे ऐंठ रहे हैं और एक दूसरे को भड़काने का कार्य करते रहते हैं, यदि यह सब नहीं रोका गया तो उसके परिणाम बुरे हो सकते हैं। कई बार देखा गया है कि छोटे बच्चें को हाथों में मोबाइल दे दिया जाता है और वो बच्चें फेसबुक में गलत वीडियो देखने लगते हैं, उनका भविष्य इस तरह बिगड़ सकता है, उन्हें फेसबुक के मकड़जाल से दूर रखना चाहिए। फेसबुक एक तरफ वरदान भी है इस में आने वाली अच्छी जानकारियां कुकिंग संबंधी और नगरों में होने वाली सभी प्रकार की खबरें और मन की शांति के लिए भी होता है, बस इसका सदुपयोग करना सबको आना चाहिए।
आप अपना कीमती समय घर परिवार में भी दीजिए, अपने घर की औरतों और पुरुषों को थोड़ा वक्त दीजिए, उनका सुख-दुख पूछिये, बाहर की दुनियाँ आभासी है, इस आभासी दुनियाँ से बचने का प्रयास कीजिए, जिन्हें आप जानते नहीं हैं उन्हें अपनी फ्रेंड लिस्ट में नहीं जोड़िए और यदि आप फ्रेंड लिस्ट में किसी अन्य को जोड़ना भी चाहते हैं तो पहले उसकी जांच पड़ताल कर लीजिए कि वह अमुक व्यक्ति सज्जन है या शैतान।फेसबुक को साधारण तरीके से चलाने का माध्यम समझा जाना चाहिए और विश्वास सोच समझ कर करना चाहिए। आजकल लोग विश्वास के लायक नहीं रहे, इस के चक्कर में कई बेगुनाह फँस जाते हैं, जिनके पास फिर इस भंवर से निकलने का कोई उपाय नहीं बचता है, सारे रिश्ते नाते धरे के धरे रह जाते हैं, जिन पर आप अत्यधिक विश्वास करेंगे उन्हीं के द्वारा आप छले जाएंगे, यही है फेसबुक की असली दुनिया “फेंकबुक”! जो कि वरदान कम, अभिशाप ज्यादा है। अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए और सोच समझकर फेसबुक की दुनियां में आइए, एक दूसरे से बात तो कीजिए लेकिन उनकी तह तक नहीं चाहिए और अपनी सभी निजी जिंदगी के दस्तावेज उनसे शेयर कभी मत कीजिए तभी आप फेसबुक के सही मायने को समझ पाएंगे, अच्छी चीजें ग्रहण कीजिए, बुरी चीजों का त्याग कीजिए यही फेसबुक का सबक है।
अच्छी चीजें सीखिए जरूर, पर खुद के साथ गलत होने से रोकिए। अपनी आईडी का पासवर्ड हर महीने बदलते रहिए, क्योंकि फेसबुक में लोग आईडी हैंक कर रहे हैं अच्छे और सीधे इंसानों को फंसा रहे हैं। अपनी आईडी को रात में लॉग आउट करके रखा करिए।तभी आप सुरक्षित रह पाएंगे और बुरे प्रपंच, लोगों से बच पाएंगे। लोगों को पहचानने का हुनर होना चाहिये, यही फेसबुक सिखाता है। अच्छा होगा कि आप फेसबुक पर केवल अपनी पोस्ट के माध्यम से अपनी बात कहें और जहां गलत संदेश आए तो उसे तुरंत ब्लॉक कीजिए, मैसेंजर का प्रयोग ना के बराबर कीजिए, जब जरूरत का कार्य हो तभी विचार विमर्श कीजिए, सुरक्षित रहिए और खुद को समय देने का प्रयास अत्यधिक कीजिए, अनिद्रा, भूख ना लगना, देर रात तक सोना, फेसबुक पर ऑनलाइन रहना, यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक है, इसका प्रयोग कम से कम कीजिए तभी आप सुखी और स्वस्थ जीवन को व्यतीत कर सकते हैं। फेसबुक वरदान और अभिशाप दोनों है बस अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए।
स्वरचित और मौलिक लेख
पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश