लेख: “सोंच सकारात्मक रखिए, नकारात्मक नहीं”

Lifestyle Tech लेख/कविताएं

सफलता पाने के लिए किसी निर्दोष के साथ गलत नहीं करना चाहिए बल्कि मुसीबत में उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए

डेस्क: (भानु प्रभात ब्यूरो) आप समाज में सभी जगह देख सकते हैं कि कोई ना कोई व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से जूझता है और खुद को एक दायरे में संकुचित कर देता है, उन्हें लगता है कि उनके द्वारा किए गए कोई भी कार्य का फल उन्हें नहीं मिलेगा, इसलिए वह कोई भी नए कार्य को करने के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं, उनके अंदर हीन भावना जन्म लेती है। कई बार ऐसा होता है कि बचपन से ही कुछ लोगों को इतना दबाव में रखा जाता है उन्हें हर गतिविधियों में भाग लेने से मना कर दिया जाता है, जब वह अपने उम्र में आते हैं तो उस कार्य को करने में कहीं ना कहीं वह असफल हो जाते हैं, फिर उनके मन में कुंठा आने लगती है और वह हताश और परेशान होकर खुद के साथ अन्याय पर बैठते हैं।

सांकेतिक फोटो

कई लोग ऐसे होते हैं यदि कोई व्यक्ति अच्छा कार्य कर रहा है तो भी उसमें कोई ना कोई गलतियां निकालते रहते हैं, वह सामने वाले के हौसला बनने की बजाय उनकी अवहेलना कर देते हैं, ऐसी परिस्थिति में कई व्यक्ति हताश होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं, उनके मन में यह विचार आता रहता है कि वह किसी भी कार्य के काबिल नहीं है और यही नकारात्मक सोच उनके कार्य में बाधक होती है। समाज में ऐसे लोग होते हैं जो किसी को आगे बढ़ता देख नहीं सकते हैं, वह उनसे दो कदम आगे चलना चाहते हैं मदद करने की जगह उनको गिराने की कोशिश में लगे रहते हैं, जो कि सर्वथा गलत है। सफलता की सीढ़ी पाने के लिए किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ गलत नहीं करना चाहिए, मुसीबत में साथ खड़े रहकर उस व्यक्ति को आगे बढ़ाने के लिए हर पल कोशिश हर किसी को करनी चाहिए।

सांकेतिक फोटो

याद रखिए कि कोई भी व्यक्ति पेट से सीख कर नहीं आता है जमाने की ठोकरे और सीख उन्हें अनुभवशाली बना देते है और इसी अनुभव के आधार पर वह अपने कार्य क्षेत्र को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने की कोशिश किया करते हैं, लेकिन यदि सफलता हाथ नहीं लग रही है तो कार्य में कुछ कमी होगी यह सोच कर उस व्यक्ति को और उत्तम कार्य करने के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए, बीच में हार मान लेने से किसी भी समस्या का हल नहीं होता है और आत्महत्या तो बिल्कुल नहीं।कुछ बच्चे पढ़ाई लिखाई में कमजोर होते हैं, तो शिक्षकों का फर्ज होता है कि उन बच्चों को अलग से समझा कर पढ़ने के लिए प्रेरित करें, ना कि दूसरे बच्चों से, जो पढ़ने लिखने में तेज है उनसे तुलना करें। ऐसे में कमजोर बच्चे का विकास अवरुद्ध हो जाता है और वह हीन भावना का शिकार हो जाता है और फिर पढ़ाई में मन नहीं लगाता है! जिसका परिणाम उन कमजोर बच्चों को रिजल्ट के रूप में मिलता है, यदि कम अंक आ रहे हैं तो उन बच्चे के माता-पिता को अपने बच्चे को समय देना चाहिए, उन बच्चों की सोच को सकारात्मक करनी चाहिए, आगे बढ़ने की उन बच्चों को प्रेरणा देनी चाहिए, ताकि बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगे और वह अपनी सुंदर सोच के साथ आगे बढ़ता रहे।

लेखक पूजा गुप्ता

आप जीवन में कुछ नहीं कर सकते हैं, यह ख्याल अपने मन से निकाल दीजिए। आप अपने जीवन में बहुत से ऐसे कार्य हैं जो बखूबी कर सकते हैं, जो आपके अंदर का हुनर है, उसे सामने लाइए और अपनी योग्यता के अनुसार उसमें आगे बढ़ने की कोशिश कीजिए। आप कुछ नहीं कर सकते हैं यह मत सोचिए, क्योंकि कोई भी कार्य में एक बार असफलता हासिल होती है, तो उसी कार्य को बार-बार करने से सफलता जरूर मिलती है और अनुभव भी मिलता है और यदि आप सफल हो जाते हैं तो दूसरे लोगों को भी आप से प्रेरणा मिलती है। याद रखिए खुशियों की चाबी आपके हाथ में है स्वयं पर विश्वास रखिए और सकारात्मक सोच वाली बातों पर अपना मन केंद्रित कीजिए। आप खुद की ढाल बनिए, यदि आप निराशा से घिर रहे हैं तो योगाभ्यास कीजिए, मन को एकाग्र कीजिए, फिर देखिए आपको सफलता मिलनी ही मिलनी है। आत्महत्या जैसे विचारों का त्याग करके अपने सपने को पूरा करने का हर संभव प्रयास करें, फिर आपको कभी नकारात्मक चीजों का ख्याल नहीं आएगा मजबूत बने और खुश रहिए।

स्वरचित और मौलिक लेख

पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *