नौ दिन तक प्रतिदिन अलग-अलग तरह के होते हैं धार्मिक आयोजन
चित्रकूट : जहां मोक्ष है वहां भोग नहीं और जहां भोग है वहां मोक्ष नहीं है किन्तु पराम्बा की साधना से मानव को भोग एवं मोक्ष दोनों की शक्ति प्राप्त होती है। कुछ ऐसा ही भक्ति भाव दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के उद्यमिता विद्यापीठ परिसर में विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने आये श्रद्धालुओं में नजर आया।दीनदयाल नवदुर्गा उत्सव के चौथे दिन आरती में आरोग्यधाम, उद्यमिता एवं ग्रामोदय विश्वविद्यालय परिसर तथा स्फटिक शिला एरिया के लोगों ने आरती में सम्मिलित होकर मां की पूजन-अर्चन किया।
गत दिवस की आरती में संत सीताशरण महाराज जानकी महल आश्रम एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, ग्रामोदय विश्वविद्यालय से डा. सूर्य प्रकाश शुक्ल उपस्थित रहे। नवदुर्गा उत्सव समिति के संयोजक कालिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि समिति के द्वारा इन दिनों विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया है। दुर्गा पूजा का एक-एक रंग देखने लायक होता है। नौ दिन तक प्रतिदिन अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन किए जाते है। अलग-अलग जगह से लोग इसे देखने और पूजा में शामिल होने आते है। चौथे दिन नारंगी वस्त्र पहनकर माता कुष्मांडा का स्वरूप अद्भुत लग रहा था। मां दुर्गा के प्रतिदिन के बदलते स्वरूप के दर्शन करने चित्रकूट के आसपास के लोग भी आते है।
उद्यमिता विद्यापीठ परिसर में दुर्गा उत्सव का आयोजन दीनदयाल नवदुर्गा समिति के लोगों द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है। उद्यमिता विद्यापीठ के संयोजक मनोज सैनी ने बताया कि इस उत्सव में सभी लोग ऊंच-नीच का भेद भुलाकर समरस भाव से इस आयोजन को चार चांद लगाने में लगे हुए हैं। अनुष्ठान को विधि-विधान से करने के लिये भागवताचार्य पं. रामविशाल शुक्ल सुबह शाम पूजन-अर्चन करा रहे हैं।
सुबह की आरती प्रातः 9 बजे एवं शाम की आरती 7:30 बजे सम्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि कोई भी नवीन कार्य करने के लिये नवरात्रि को शुभ माना जाता है, जैसे ग्रह निर्माण, गृह प्रवेश, व्यापार, आदि करने के लिये शुभ योग माना जाता है। उन्होंने बताया कि जो भी माताएं, बहनें मैया जी की सच्चे मन से वृत रखती है तथा जो नित्य प्रतिदिन पूजा करता है, दुर्गा सप्तसती का पाठ करता है, मां दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, माता प्रसन्न होकर उसके सभी कार्य पूर्ण करती हैं।